Syllabus & Course Curriculam
Course Type: ME-3
Semester: 3
Course Code: BHINMEB23T
Course Title: Madhykalin hindi kavya (मध्यकालीन हिन्दी काव्य)
(L-P-Tu): 3-0-1
Credit: 6
Practical/Theory: Theory
Course Objective: • इस पाठ्यक्रम के अध्ययन के द्वारा विद्यार्थियों में मध्यकालीन कविता एवं तद्युगीन सामासिक संस्
Learning Outcome: • छात्र मध्यकालीन प्रमुख कवियों कबीर , तुलसी , जायसी, सूरदास से परिचित होगे तथा उनकी कविताओं का सम्
काई – एक
साखी - माया दीपक नर पतंग (2), चकई बिछुरी रैनि की(4), इस का दीवा करौं (5), अँखियन तौ झाँई पारी(7) तूं तूं करत तूं भया(8), संत न छौड़े संतई (9) अब घर जारा आपनां(11), कबीर सब जग ढूंढ़िया(12) कबीर कँवल प्रकासिया(15), निंदक नेरे राखिए (20) |
इकाई – दो
विनय - माधौ जू , मन माया बस कीन्हौ (1), हरि बिनु अपनौ को संसार(4) , अब मैं नाच्यौं बहुत गुपाल (5),
भ्रमरगीतसार - सुनौ गोपी हरि कौ संदेस (2), अँखियाँ हरि दरसन की भूखीं(4), ऊधौ मन न भए दस-बीस (5), मधुबन तुम क्यौं रहत हरे?(6) ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं (7) |
इकाई – तीन
चौपाइयाँ - श्रीगुरू चरन सरोज रज निज मनु मुकुरू सुधारि (1), एक समय सब सहित समाजा (2), सब बिधि गुरू प्रसन्न जियँ जानी (4), हरषि मुनीस कहेउ मृदु बानी (6), तब नरनाहँ बसिष्ठु बोलाए (9), सुनि सुर बिनय ठाढ़ि पछिताती (12), एकहिं बार आस सब पूजी (16), चतुर गँभीर राम महतारी (18), चहत न भरत भूपतहि भोरें (36), भरत प्रानप्रिय पावहिं राजू (42)
इकाई – चार
दोहा - मेरी भव बाधा हरौ(1) , नीकी दई अनाकनी(2) , अजौ तर यौना हीं रहयौ (3), जम-करि-मुँह-तरहरि परयौ (8), तो पर बारौं उरबसी (9), लौनै मुहु दीठी न लगै(10), कहत,नटत ,रीझत ,खिझत(11), कौन भाँति रहिहै बिरदु (12), नहिं परागु नहिं मधुर मधु (13), कब को टरतु दीन रट(19), तंत्री- नाद कवित्त -रस (22) |
Basic Features
Undergraduate degree programmes of either 3 or 4-year duration, with multiple entry and exit points and re-entry options, with appropriate certifications such as:
Note: The eligibility condition of doing the UG degree (Honours with Research) is- minimum75% marks to be obtained in the first six semesters.
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